Schlitzie (The Pinhead) श्लितजी की दुखभरी जिंदगी की कहानी। एक ऐसा व्यक्ति जिसने जिंदगी का असली मतलब सिखाया

Schlitzie Story in Hindi

Schlitzie एक ऐसा व्यक्ति जिसने दुनिया को बताया की कुछ कर गुजरने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम होना ही ज़रूरी नही है, आपको बस खुद पर यकीन ओर हिम्मत होनी चाहिए।
Schlitzie (The Pinhead) श्लितजी की दुखभरी जिंदगी की कहानी। एक ऐसा व्यक्ति जिसने जिंदगी का असली मतलब सिखाया


श्लितजी (Schlitzie) का जन्म 01 सितम्बर,1901 को न्यू-यॉर्क के ब्रोस में एक अमीर परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही Microcephaly नाम के बीमारी से ग्रसित थे, इस बीमारी वाले लोगों को पिनहेड (pinhead) भी कहा जाता था। इस बीमारी के कारण उम्र के साथ साथ उनका चेहरा सिर के मुकाबले बहुत बड़ा होने लगा जिस कारण व्यक्ति का दिमाग बाकी लोगों से थोड़ा छोटा ही रह जाता है जिससे आदमी वयस्क होने पर भी 3 साल के बच्चे की तरह ही सोच पाता है।और सबसे बुरी बात यह थी की इस बीमारी का कोई इलाज भी नही था। श्लितजी के इस बीमारी के कारण उनके माता पिता को काफी शरम आती इसीलिए उन्होंने उसे एक सर्कस को बेच दिया। श्लितजी बीमारी  के कारण छोटे छोटे शब्दों को जोड़कर बातें किया करता था और सर्कस में कुछ आसान से नाटक करने लगा। वह अधिकतर लड़की के कपड़े पहन कर नाटक करता व दर्शकों का मनोरंजन करता। उसे जानने बाले कहते थे की वह एक मिलनसार व्यक्ति था जिसे नाचना गाना और आकर्षण में रहना पसंद था।

सर्कस में अपने अभिनय से सबका मनोरंजन करने बाले श्लितजी को 1932 में  हॉलीवुड के Freaks मूवी में काम करने का मौका मिला जिससे श्लितजी को अब और भी पहचान मिल चुकी थी। इतना नाम होने के बाद भी उसका कोई खुद का पक्का ठिकाना नही था। फिर जॉर्ज सुरतीस नाम के बन्दरो के ट्रेनर ने श्लितजी की जिम्मेदारी ली और उसने श्लितजी को अपने मरते दम तक प्यार दिया, लेकिन सुरतीस के मरने के बाद उसकी बेटी ने श्लितजी को मेन्टल हॉस्पिटल भेज दिया। श्लितजी वहां अपने सर्कस के पलों को याद करके उदास रहता था, वह यहां तीन साल तक रहा। पर उसकी हालत देखकर उसे फिरसे शोज करने की इजाजत दे दी गयी। फिर श्लितजी कुछ सालों तक काम करता रहा उसके बाद रिटायर हो गया। श्लितजी को इतना नाम होने के बावजूद भी उसकी बीमारी के कारण पूरी जिंदगी किसी ने नही अपनाया लेकिन उसने कभी हार नही मानी। उम्र के साथ साथ उसकी बीमारी के कारण उसे देखने व सुनने में भी तकलीफ होने लगी पर उसका ध्यान रखने वाला कोई नही था, अंत मे 24 सितंबर1971 को श्लितजी की मृत्यु हो गयी। पर उसे उस समय ऐसे ही बिना नाम के कब्र के नीचे दफनाया गया था लेकिन 2007 में श्लितजी के एक प्रशंसक ने कहा कि श्लितजी सम्मान का हकदार है, और श्लितजी एक बार फिर सुर्खियों में आये। इसके बाद श्लितजी की कब्र पर उनका नाम लिखवाया गया।
Schlitzie (The Pinhead) श्लितजी की दुखभरी जिंदगी की कहानी। एक ऐसा व्यक्ति जिसने जिंदगी का असली मतलब सिखाया

श्लितजी का खुद का जीवन भले ही जितना भी कठिन था लेकिन उन्होंने कभी भी हार नही, भले ही दुनिया ने उनको अपनाया ना हो लेकिन वो पूरी दुनिया को एक प्रेरणा दे गए और अपनी एक अलग छाप छोड़ गए।

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