Unsolved Mysterious of India in Hindi
लोहे के स्तम्भ में जंग न लगना
दिल्ली के कुतुबमीनार के पास The Iron pillar of Delhi नाम का एक प्राचीन लौह स्तम्भ मौजूद है जिसकी लम्बाई 21 फुट 8 इंच, चौड़ाई 16 इंच है और वजन 6 टन है। माना जाता है यह स्तम्भ लगभग 1600 साल पुराना है और इसका निर्माण 5वीं सदी में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने करवाया था जो विष्णु भगवान के मंदिर के सामने हुआ करता था लेकिन 13वीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर को नष्ट करके कुतुबमीनार का निर्माण करवाया लेकिन स्तम्भ को नष्ट नहीं किया। आज के समय में दिल्ली के इस लौह स्तम्भ के बनावट ने विशेषज्ञों को अभी तक हैरान करके रखा है क्यूंकि यह 1600 सालों से खुले आसमान में मौजूद है और इतने सालों से बारिश और नमी को झेलता आ रहा है लेकिन फिर भी इस स्तम्भ में थोड़ा भी जंग नहीं लगा है। विशेषज्ञ कई सालों से इस स्तम्भ में जंग ना लगने के कारण का पता लगाने की कोशिश करते आ रहे है ताकि भविष्य में ऐसा लोहा तैयार किया जा सके जिसमें जंग ना लगे लेकिन विशेषज्ञ इसमें आज तक सफल नहीं हो पाए है और इस लोहे के स्तम्भ में जंग न लगने का कारण अभी भी रहस्य ही बना हुआ है।
Photo - Wikimedia commonsताज महल का रहस्य
दुनिया के 7 अजूबों में से एक और भारत की सबसे बड़ी शान ताजमहल अपने अंदर बहुत से रहस्यों को लिये बैठा है जिनमें से एक रहस्य है ताजमहल के नीचे का कमरा। यह कमरा मुगलों के समय से बंद है और इसे ईंटो से चुनवा कर बंद कर दिया गया है। इसके पीछे भी बहुत सी कहानियां है जैसे कि कुछ लोगों का मानना है कि शाहजहां की सबसे मनपंसद पत्नी मुमताज जब 14वें बच्चे को जन्म देने के दौरान मर गई थी तो उनकी कब्र को ताजमहल के नीचे ही दफना दिया गया था और उसके बाद उसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। और कुछ लोगों का मानना है कि ताजमहल असल मे मुस्लिमो का नहीं बल्कि हिंदुओं का मंदिर था और इसके नीचे भगवान शिवजी का मंदिर मौजूद है। जबकि कुछ मानते है इसके नीचे खजाना है, लेकिन ये सभी सिर्फ अनुमान ही है असल मे किसी को नहीं पता कि ताजमहल के नीचे ऐसा क्या था कि इसे हमेशा के लिए बंद करना पड़ा।
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UFO दिखने का रहस्य
Kongka La Pass जो लद्दाख में मौजूद है लेकिन चीन भी इस जगह पर हक जताता है और उनके अनुसार यह तिब्बत में मौजूद है, भारत चीन के इस विवाद के कारण इस जगह पर कोई भी नहीं जाता लेकिन दूर से दोनों देशों के सैनिक इस जगह पर नजर बनाये रखते है। Kongka La Pass का रहस्य यह है कि बहुत से स्थानीय लोगों और सैनिकों ने इस जगह पर कुछ रोशनी और अजीब चीज को उड़ते हुए देखा है जिसे कि एलियन का UFO माना जाता है। कहा जाता है कि इस जगह पर किसी भी इंसान और जानवर के न जाने के कारण एलियन्स ने इस जगह को अपना Base बनाया है। इस जगह पर UFO दिखने कि घटना को भारत और चीन दोनों देशों की सरकार भी मानती है और 2006 में गूगल अर्थ में भी इस जगह पर कुछ अजीब तरह की आकृतियाँ दिखी थी जिसके बाद गूगल मैप ने इस जगह को काली पट्टी से छिपा दिया है। पायलटस का भी कहना है कि वे विमान को Kongka La Pass के ऊपर से उडाने से बचते है क्यूंकि इसके ऊपर उनका Navigation भी अच्छे से काम नहीं करता। Kongka La Pass को भारत का Area 51 भी कहा जाता है और यहाँ के UFO का रहस्य अभी भी अनसुलझा ही है।
गुरुत्वाकर्षण को न मानने वाला रहस्यमयी पत्थर
तमिलनाडु के महबलिपुरम मे एक 200 टन वजनी 20 फुट ऊँची और 5 मीटर चौड़ी गोल चट्टान मौजूद है जो किसी दूसरे चट्टान पर 45° की ढलान पर टिका हुआ है। हैरान करने वाली बात ये है कि ऐसी ढलान पर मौजूद होने के कारण देखने में लगती है कि ये किसी भी समय नीचे खिसक सकती है लेकिन इतने सालों तक भूकंप और आंधी की मार पड़ने के बाद भी ये नीचे नहीं गिरी है। ऐसे में विज्ञान के सामने ये रहस्य बना हुआ है कि इतना बड़ा पत्थर यहाँ पर किसने लाकर रखा होगा और अगर यह खुद कहीं से लुढ़क कर यहाँ आया होगा तो ये ऐसी ढलान पर आकर कैसे रुक गया। कहानी है कि 1908 में ब्रिटिश राज में मद्रास के गवर्नर Arthur Lawley को डर था की यह पत्थर अचानक गिर कर किसी की जान न लेले इसीलिए उन्होंने 7 हाथी लगा कर इस पत्थर को गिराने की कोशिश की थी लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी वे इसे हिला नहीं पाये इसलिए उन्होंने इसे ऐसे ही छोड़ दिया। आज के समय में यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना हुआ है जहाँ हर साल बहुत से लोग घूमने आते है और इसके नीचे आराम करते है कोई इसे धक्का देने की कोशिश करता है लेकिन किसी पर कोई पाबंदी नहीं है और यह पत्थर आज भी वैसा ही बना हुआ है। इस पत्थर को आज Krishna's Butterball नाम दिया गया है क्यूंकि लोगों का मानना है भगवान श्रीकृष्ण जिन्हें मक्खन बहुत पसंद था लेकिन एक बार माखन खाते हुए उनके हाथों से माखन इस जगह पर गिर गया और समय के साथ सुख कर चट्टान का रूप ले लिया।
Photo - Wikimedia Commonsकभी ना खुलने वाला गुप्त दरवाजा
पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु जी का मंदिर है जो कि केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित है। यह मंदिर 16वीं शताब्दी में त्रावणकोर के शाही परिवार ने बनाया था। इस मन्दिर की खास बात इसके 6 गुप्त दरवाजे है जो कि कई दशकों से बंद पड़े थे। पर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पाँच दरवाजों को खोल लिया गया जिनमें से 2 लाख करोड़ रुपये की सम्पति मिली थी जिनमे सोने और बाकि कीमती गहने शामिल थे इसके बाद सभी लोग छठे दरवाजे के अंदर का खजाना देखने के लिए बेताब थे क्यूंकि ये दरवाजा सबसे खास था जिसे सबसे खास तरीके से बंद किया गया था, लेकिन वे सब छठे दरवाजे को खोलने में कामयाब नहीं हो पाए क्योंकि इस दरवाजे में बाकी दरवाजों की तरह कोई ताला नहीं था पर सामने 2 बड़े कोबरा साँपो की आकृति बनी हुई है। इस दरवाजे के पीछे का राज अभी भी रहस्य बना हुआ है। इसे Bharatakkon Kallara (तहखाना B) नाम दिया गया है। इस तहखाने के दरवाजे को पवित्र माना जाता है और माना जाता है कि इसे किसी मंत्रो से बंद किया गया है और मंत्रो से ही अगर खोला भी जा सकता है, इसके बावजूद जिसने भी इस दरवाजे को जबरदस्ती खोलने की कोशिश की है उनके साथ बहुत बुरी घटनाएँ हुई है और किसी की तो मौत भी हो गयी है। इस दरवाजे के पीछे से पानी के लहरों की आवाज़ आती है और कहते है अगर ये दरवाजा खोल दिया तो बाढ़ या सुनामी जैसी बड़ी आपदा आ सकती है और कुछ कहते है कि इसमें ऐसे ऐसे ख़ज़ाने हो सकते हैं जो इंसानो ने देखे भी ना हो। हालांकि इस दरवाजे के साथ ऐसे बहुत से अलग अलग तथ्य जुड़े हैं पर असल मे इसके पीछे क्या है किसी को भी नहीं पता है। लेकिन इस दरवाजे को पवित्र और श्रपित माना जाता है जिसको खोलने के प्रयास में बहुत से लोगों के साथ बुरा हुआ है और इन्हीं सब घटनाओं की वजह से सरकार ने भी इस दरवाजे को खोलने की कोशिशों पर रोक लगा दी है।
गर्मियों में भी ठंडा रहने वाला शिव मंदिर
ओड़िशा में तितलागढ़ के Kumhada पहाड़ी में भगवान शिव का रहस्यमयी मंदिर मौजूद है और इस मंदिर की खास बात यह है कि बाहर चाहे जितनी भी गर्मी हो यह मंदिर अंदर से हमेशा ठंडा ही रहता है। कहा जाता है बाहर तापमान जितना ज्यादा बढ़ता है मंदिर के अंदर का तापमान उतना ही कम होता जाता है। तितलागढ़ पहाड़ियों में बसे होने के कारण ओड़िशा की सबसे गर्म जगह है जहाँ का तापमान 50°C तक चला जाता है लेकिन मंदिर के अंदर का तापमान 10°C तक ही रहता है और ज्यादा देर मंदिर के अंदर बैठने से ठंड की वजह से कंबल ओढ़ना पड़ता है। मंदिर के अंदर इतनी ठंड क्यों पड़ती है इसका साफ पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए है लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर में मौजूद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों से ठंडी हवा निकलती है जिससे पूरा मंदिर ठंडा रहता है।
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40 सालों तक बिना खाना खाये जीवित रहना
भारत साधु संतो की भूमि है जहाँ पर बहुत से साधु संतो ने जन्म लिया है लेकिन Prahlad Jani ऐसे साधु थे जिन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और खींचा था, इनका दावा था की इन्होने 40 सालों से कुछ भी खाया पिया नहीं है और वे माता अम्बा के भक्त है जो उन्हें बिना कुछ खाए पिए जिन्दा रहने की शक्ति देती है। उनके इस दावे ने बहुत से एक्सपर्टस और वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा और 2003 में Sterling Hospitals में न्यूरोलॉजिस्ट Sudhir Shah और उनकी उनकी टीम ने Jani के दावे का पता लगाने के लिए 10 दिनों तक उनकी जांच की जिसमें Jani को एक बंद कमरे में CCTV की निगरानी में रखा गया जहाँ उन्हें खाना और पानी कुछ भी नहीं दिया जाता था और पानी का इस्तेमाल वे सिर्फ नहाने के समय ही करते थे। इन 10 दिनों में उन्होंने पेशाब व मल भी नहीं किया। 10 दिनों की जाँच पूरी होने के बाद डॉक्टर्स और एक्सपर्टस भी हैरान रह गए क्यूंकि Jani का सिर्फ हल्का सा वजन ही घटा था लेकिन उनका शरीर पूरी तरह स्वस्थ था। इस टेस्ट के बाद उनकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। 2006 में Discovery ने उनके ऊपर "The Boy with Divine Powers" नाम की डॉक्यूमेंट्री भी निकाली और कुछ समय बाद Austria ने भी उनपर "Am Anfang war das Licht" नाम की डॉक्यूमेंट्री निकाली। 2010 में Sudhir shah और अन्य 35 लोगों की टीम ने Jani पर फिर से 15 दिनों तक बंद कमरे में उन्हें बिना खाना पानी दिए रिसर्च की लेकिन इस बार भी Jani सफल रहे। 2020 में 91 वर्ष की उम्र में Prahlad Jani की मृत्यु हो गयी लेकिन वे अपने जीवन के ऐसे राज दुनिया को देकर चले गए जिन्होंने डॉक्टर्स, वैज्ञानिकों और लोगों को हैरान कर दिया था और उनके इन रहस्ययों को कोई भी सुलझा नहीं पाया।
जिन्दा लाश
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में एक Gue नाम का गांव है जहाँ पर Sangha Tenzin नाम के एक भिक्षु की मम्मी मौजूद है जो भारत का इकलौता प्राकृतिक मम्मी है, यानि इसे बाकि मम्मीयों की तरह मरने के बाद सुरक्षित नहीं किया गया बल्कि इसे मरने से पहले ही किसी लेप या बूटी की मदद से सुरक्षित कर लिया गया था। Sangha Tenzin की ध्यान करते हुए ही मौत हो गयी थी और यह बैठे हुए अवस्था में दुनिया की इकलौती मम्मी है। माना जाता है तेंज़िन की मौत 550 साल पहले हुई थी और उन्होंने मरने से पहले ही कुछ खास जड़ी खाकर या लेप लगाकर अपने शरीर को इस प्रकार का बना लिया था कि मरने के बाद भी उनका शरीर बिना किसी कब्र में डाले सुरक्षित रहे। इस मम्मी की खोज 1975 में हुई थी लेकिन भूकंप आने के बाद ये जमीन में खो गयी थी लेकिन 2004 में ITBP के सड़क निर्माण के खुदाई के दौरान इसे दोबारा से खोजा गया जो इतने सालों तक जमीन में दबे रहने के बावजूद भी बिल्कुल सुरक्षित था, इसके बाद इसे Gue गांव में ही शीशे के कब्र में सुरक्षित करके रखा गया है। माना जाता है खुदाई के दौरान तेंज़िन के सिर पर चोट लग गयी थी जिससे उनका खून भी निकला था जो मरे हुए इंसान में हो पाना नामुमकिन है और यह घाव आज भी उनके सिर में देखा जा सकता है। इससे भी हैरानी की बात यह है कि स्थानीय लोगों के अनुसार इस मम्मी के बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे है और इन्हीं सब चमत्कारों की वजह से लोग Sangha Tenzin की पूजा करते है और बहुत से लोग इन चमत्कारों को देखने यहाँ आते है।
Photo- Wikimedia Commonsसाँपो वाला गांव
भारत एक धार्मिक देश है जहाँ बहुत से देवी देवताओं को पूजने के साथ ही बहुत से जानवरों और जीवों की भी पूजा की जाती है जिनमें से सांप भी एक मुख्य जीव है। साँप को पूरे भारत में पूजा जाता है और नाग पंचमी का त्यौहार ही साँपो की पूजा के लिए होता है, पर साँप ऐसा जीव है जिनकी पूजा की जाने के बावजूद भी लोग इनसे दुरी बनाये रखना ही पसंद करते है क्यूंकि ये एक जहरीला जीव है जिसके एक बार काटने से ही इंसान की मौत हो सकती है। लेकिन महाराष्ट्र में शेतफल नाम का एक गांव मौजूद है जहाँ के लोग साँपो से बिल्कुल नहीं डरते और साँपो को दूर भगाने के बजाय यहाँ के लोग घर बनवाते समय घर में एक सुराख़ रखते है जिससे साँप उनके घर के अंदर आ सके क्यूंकि यहाँ साँपो को पवित्र और शुभ माना जाता है। यहाँ के लोग साँपो के साथ रहना पसंद करते है और यहाँ जगह जगह कोबरा जैसे जहरीले साँप दिखना आम बात है लेकिन रहस्य वाली बात ये है कि 2600 से ज्यादा लोगों की जनसंख्या वाले इस गाँव में आज तक साँपो ने किसी को भी क्षति नहीं पहुंचाई है और यही बात वैज्ञानिको को भी हैरान करती है कि गांव में इतने सारे जहरीले साँप होने के बावजूद भी वे किसी भी गांव वाले को क्यों नहीं काटते।
Photo - Wikimedia Commonsजगह जहाँ बिच्छू भी डंक मारना भूल जाते है
साँपो वाले गांव के बारे में तो आपको पता चल गया जहाँ जहरीले साँप किसी को नहीं काटते लेकिन एक ऐसी जगह भी है जहाँ बिच्छू भी किसी को नहीं डंक नहीं मारते। उत्तरप्रदेश के अमरोहा में Sharfuddin Shah Wilayat का दरगाह मौजूद है, माना जाता है कि ये 13वीं सदी में इरान से यहाँ आकर बसे थे और तभी से इस दरगाह में चमत्कार होने लगे। आज के समय में भी दरगाह के परिसर में बहुत से बिच्छू पाए जाते है लेकिन लोगों के हाथ में लेने पर भी ये उन्हें काटते नहीं है। इस चमत्कार को सुन कर देश विदेश से बहुत से लोग अपने साथ जहरीले बिच्छू को बंद करके लाते है और दरगाह के अंदर आकर बिच्छू को हाथ में पकड़ते है लेकिन दरगाह में आते ही बिच्छू जैसे डंक मारना भूल जाते है। परिसर के अंदर मौजूद बिच्छूओं को लोग दरगाह के सूफ़ी संत की आज्ञा लेकर कुछ समय के लिए घर भी ले जा सकते है और इन दिनों तक बिच्छू भी उस आदमी को नहीं काटता है लेकिन तय समय पूरा होने के बाद भी अगर आदमी बिच्छू को परिसर में वापिस नहीं छोड़ता तो बिच्छू डंक मारने लगता है। इस दरगाह के परिसर के अंदर बिच्छू जैसे जहरीले और आक्रमक जीवों के डंक ना मारने के स्वभाव ने सभी लोगों को हैरान किया है।
चिड़ियों का झुंड में आत्महत्या करना
असम के Dima Hasao में Jatinga नाम का एक छोटा सा गांव है जो बहुत ही खूबसूरत है लेकिन इस छोटे से गांव में एक ऐसा रहस्य छिपा है जिसने वैज्ञानिक को भी हैरान करके रखा है। मानसून के मौसम में ख़ासकर सितंबर और अक्टूबर के समय ज़ब बहुत सी प्रजातियों के पक्षी प्रवास (Migration) कर रहे होते है लेकिन इस गांव से गुजरते ही झुंड के बहुत से पक्षी यहाँ पर आकर पेड़, बिजली के खम्बो या घरों से टकरा कर मर जाते है। मरने वाले पक्षी सिर्फ एक ही प्रजाति के नहीं होते बल्कि प्रवास करने वाले लगभग सभी पक्षी यहाँ आकर अपनी जान गंवा बैठते है और इससे भी ज्यादा चौकाने वाली बात यह है की ये घटना शाम के 6 बजे से 9 बजे के बीच ही होती है। गांव के स्थानीय निवासी इस घटना के पीछे का कारण भूत प्रेतों को मानते है जबकि वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं का मानना है कि इन घटनाओं के पीछे का कारण मानसून मे होने वाला कोहरा और चिड़ियों को आकर्षित करने वाली रोशनी है जिससे कोहरे में उन्हें अच्छे से दिखाई नहीं देता और वे खम्बो या पेड़ों से टकरा कर मर जाते है। लेकिन वैज्ञानिकों के इस तर्क को भी सच नहीं माना जाता क्यूंकि प्रवासी पक्षी बहुत अच्छे नविगेटर होते है जिन्हें अपने रास्तों का अच्छे से पता होता है और पेड़ व लाइट के खम्बे तो हर जगह होते है फिर भी इसी जगह पर आकर सभी पक्षी क्यों मरते है। Jatinga गांव में पक्षीयों का इस तरह से झुंड में मरना अभी तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।
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वीरान गांव जिसे दोबारा कोई नहीं बसा पाया
भारत की धरती पर बहुत से राज और रहस्य छुपे है जिन्हें सुलझा पाना बहुत ही मुश्किल है, ऐसा ही भारत का एक रहस्यमयी गांव है कुलधरा। कुलधरा राजस्थान के जैसलमेर में मौजूद एक वीरान गांव है जिसे श्रापित माना जाता है और यहाँ पर कोई भी नहीं रहता। लेकिन माना जाता है कि आज से 300 साल पहले ये गांव ऐसा नहीं था बल्कि यह एक खुशहाल गांव था, उस समय यह पालीवाली ब्राह्मणों का गांव हुआ करता था और गाँव की जनसंख्या 5000 के करीब थी। लेकिन एक बार राज्य के क्रूर दीवान सलीम सिंह की गंदी नजर गांव की एक सुंदर लड़की पर पड़ी और वह उसे किसी भी तरह से पाना चाहता था इसीलिए उसने गांव वालों को धमकी दी थी कि उस लड़की को उसके हवाले कर दे वरना वह गांव पर हमला कर देगा और लड़की को जबरदस्ती लेकर जायेगा। लेकिन एक रात कुलधरा के साथ आसपास के 83 गाँववालो ने एक मंदिर में सभा बिठाई और लड़की के सम्मान को बचाने के लिए गांव छोड़ने का निश्चय किया और उसी रात वे गाँव को छोड़ के चले गए लेकिन माना जाता है कि जाते हुए उन्होंने गाँव को श्राप दे दिया कि अब कुलधरा गाँव में दोबारा कोई भी नहीं बस पायेगा और तभी से आज तक यह गाँव खाली पड़ा हुआ है जबकि बाकि के 83 गाँवो में दोबारा से लोग रहने लगे है। आज के समय में कुलधरा गांव की देखरेख सरकार करती है और दिन में लोग टिकट लेकर इस गांव में घूमने जा सकते है लेकिन रात के समय किसी को अंदर जाने नहीं दिया जाता क्यूंकि इस जगह को श्रापित और भूतिया माना जाता है।
Photo - Wikimedia CommonsKodinhi जुड़वाँ लोगों का गाँव
केरल के Malappuram जिले में Kodinhi नाम का एक गांव मौजूद है जिसे जुड़वाँ बच्चों का गांव भी कहा जाता है क्यूंकि इस गांव में 2000 के करीब लोग रहते है जिसमें से 400 के लगभग जुड़वाँ है और ये संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। दुनिया में हर 100 बच्चों में 4 बच्चे जुड़वाँ पैदा होते है लेकिन इस गांव में हर 100 बच्चों में 45 बच्चे जुड़वाँ पैदा होते है और जुड़वाँ बच्चों का ये औसत एशिया में सबसे ज्यादा है। जुड़वाँ बच्चों के इस गांव के रहस्य को सुलझाने के लिए दुनिया के बहुत से शोधकर्ता इस गांव में आये और लोगों का DNA टेस्ट किया लेकिन वे इतने सारे जुड़वाँ बच्चे होने का साफ कारण पता नहीं लगा पाये। शोधकर्ताओं का कहना है कि जुड़वाँ बच्चे होने का कारण गांव की हवा, आहार पानी और कुछ अज्ञात तत्व हो सकता है लेकिन इस रहस्य का स्पष्ट तौर पर पता नहीं लगाया जा पाया है।
सबसे रहस्यमयी/चमत्कारी मंदिर
भारत के अधिकतर उनसुलझे रहस्य भारत के मंदिरों से ही जुड़े है जहाँ हर दिन नए नए चमत्कार होते रहते है और उन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक है ओड़िशा के पूरी में स्थित Jagannath Temple जो भगवान विष्णु जी को समर्पित है। जगन्नाथ जी का मंदिर समुद्र के पास मौजूद है इसलिए मंदिर के बाहर समुद्र के लहरों की आवाजे सुनाई देती है लेकिन मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए एक सिंहद्वार मौजूद है जिसके अंदर एक कदम आते ही समुद्र के लहरों की आवाज़ बंद हो जाती है और बाहर निकलते ही आवाज फिरसे आने लगती है। मंदिर के ऊपर एक ध्वजा लगी है जिसे रोज बदला जाता है और ये ध्वजा प्रकृति के नियमों को तोड़ते हुए हवा के विपरीत दिशा में लहराती है। ध्वजा के नीचे एक चक्र मौजूद है जिसे भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र माना जाता है और इसे कुछ इस तरह से बनाया गया है कि इसे मंदिर के किसी भी कोने से देखने पर यह अपनी तरफ घुमा हुआ ही दिखता है। प्रकृति का नियम है की जिस भी चीज पर रोशनी पड़ती है उसकी परछाई बनती है लेकिन इस मंदिर की कोई परछाई नहीं बनती, इन सभी घटनाओं के पीछे विज्ञान मानना है की मंदिर के निर्माण में कोई खास अज्ञात शैली का प्रयोग किया गया है जिसे विज्ञान स्पष्ट नहीं कर पाया है जबकि भक्त इसे भगवान का चमत्कार मानते है। इस मंदिर का एक और रहस्य यह भी है कि इस मंदिर के ऊपर से कभी भी कोई पक्षी या हवाई जहाज नहीं उड़ता और इस मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोईयों में से एक है जहाँ प्रतिदिन हजारों लाखों लोग खाना खाते है लेकिन रसोई का रहस्य ये है कि यहाँ जगन्नाथ की का प्रसाद 7 बर्तनों में तैयार किया जाता है जिन्हें एक के ऊपर एक रखा जाता है लेकिन सबसे ऊपर वाले बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है और सबसे नीचे के बर्तन का प्रसाद सबसे अंतिम में। जगन्नाथ पूरी जी के इन सभी रहस्यों को भक्त तो भगवान का चमत्कार मानते है जबकि विज्ञान के लिए ये सभी रहस्य अनसुलझा ही है और वे इन्हें सुलझाने की कोशिश में लगे है।
Photo - Wikimedia Commonsरामेश्वरम के तैरते पत्थर
भारत में रामायण तो लगभग सबने सुना होगा और उन्हें राम सेतुः के बारे में भी पता होगा जो एक ऐसा सेतु था जिसे भगवान श्री राम और वानर सेना ने रामेश्वरम से लंका तक जाने के लिए तैरते पत्थरों से बनाया था। हैरानी की बात यह है कि आज भी वह सेतु मौजूद है और रामेश्वरम के तटों में ऐसे पत्थर मिलते है जो पानी में तैरते है। भक्तों का मानना है कि ये श्रीराम के समय के सेतु में इस्तेमाल किये गए पत्थर है लेकिन विज्ञान रामायण और राम सेतु को पूरी तरह से नकारता है और इन तैरते पत्थरों के रहस्य को सुलझाने में लगे है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये Pumice Stone है जो ज्वालामुखी के फटने के बाद बनते है और जलने के कारण अंदर से खोखले हो जाते है जिससे ये पानी में तैर सकते है लेकिन वैज्ञानिक अपने इस तर्क पर भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है क्यूंकि रामेश्वरम में पाये जाने वाले पत्थर Pulice पत्थर के मुकाबले ज्यादा भारी है और इस जगह के आसपास कोई भी ज्वालामुखी नहीं है। रामेश्वरम के तैरते पत्थरों का कारण वैज्ञानिक अभी तक साफ तरीके से पता नहीं लगा पाये है और अभी भी इस रहस्य पर शोध जारी है जबकि बहुत से हिन्दू लोग इसे रामायण से जोड़ कर देखते है, पर आप लोगो को इन तैरते पत्थरों के पीछे का कारण क्या लगता है विज्ञान या श्रीराम भगवान?
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Dubai me radhya
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