Animals that can live after death in Hindi
दुनिया मे जो भी पैदा हुआ है एक दिन उसकी मौत भी जरूर होती है और यही प्रकृति का नियम है। लेकिन बहुत से इंसान मरना नहीं चाहते और अमर होना चाहते है इसके लिए बहुत से वैज्ञानिक शोध भी किये जा रहे है इंसानो ने वैसे तो ऐसे बहुत से इलाज ढूंढ लिए हैं जिससे कि वे बहुत सी जानलेवा बीमारियों से भी बच जाते है पर इंसानो का अमर होने का परीक्षण अभी तक सफल नहीं हो पाया है। पर दुनिया में ऐसे भी बहुत से जीव है जो मरने के बाद भी जिंदा रह सकते हैं औऱ कुछ तो लगभग अमर है और यह इन जीवों में किसी वैज्ञानिक परीक्षण से नहीं हुआ बल्कि यह इन्हें प्रकृति से मिला वरदान है। ऐसे ही कुछ जीवों के बारे में आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं।
Chicken
अगर आप किसी कसाई से पहुचेंगे की क्या कभी मुर्गे को काटने के बाद भी वे जिंदा रहते हैं तो उनका जवाब हां होगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुर्गियों का तंत्रिका तंत्र (Nervous System) हम इंसानो से बहुत अलग होता है। इंसान के पूरे शरीर को काबू करने के लिए दिमाग की जरूरत होती है लेकिन मुर्गियों में यह काम उनके शरीर मे फैले ब्रेन स्टेम सेल्स करती है जिस कारण उनका सिर काट जाने पर भी उनका ब्रेन स्टेम सेल्स उनके शरीर को काबू करते है और वे चल पाते है। हालांकि हर मुर्गियां सिर कटने पर जिंदा नहीं रहती, ऐसा तभी होता है जब मुर्गियों का सिर काटते समय उनकी Jugular vein नहीं कट पाती। इस नस की वजह से ऑक्सिजन रहित खून शरीर में प्रसारित हो पाता है। हालांकि ऐसा बहुत ही कम बार होता है जब सिर काटने पर भी मुर्गी जिंदा रहती है पर अगर कोई जिंदा रहती भी है तो सिर न होने के कारण कुछ ही दिनों में भूख प्यास की वजह से उसकी मौत हो जाती है। Mike the Headless Chicken नाम का मुर्गा मुर्गियों के सिर कटने के बाद भी जिंदा रहने का सबसे बड़ा उदाहरण है जो कि सिर कटने के 18 महीनों तक जिंदा रहा था औऱ बिना सिर के इसे इंजेक्शन से खाना और पानी पिलाया जाता था जिस वजह से ये इतने लंबे समय तक जीवित रह पाया।
Photo Credit - WikipediaSnakes
अगर आप सोचते हो कि साँप का सिर अलग कर देने से ये मर जाएगा और आप इसे जैसे चाहे पकड़ सकते हो तो ये आपकी सबकी बड़ी भुल है क्योंकि सांप का सिर अलग कर देने के बाद भी इसका कटा हुआ सिर लगभग 1 घण्टे तक हमला कर सकता है औऱ अपना सारा जहर उस पर निकाल सकता है। ऐसा ही एक मामला 2013 में Foshan, Guangdong, चीन के एक रेस्टोरेंट में हुआ था जब Peng Fan नाम का बावर्ची कोबरा सांप के टुकड़े टुकड़े करके उसे पका रहा था। लेकिन सांप के कटे हुए सिर ने उसे काट लिया और हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। दरअसल ऐसा इसीलिए होता कि सांप का सिर कट जाने के बाद भी आसपास की गर्मी महसूस कर सकते है औऱ जब कुछ चीज उसके बिल्कुल करीब आ जाए तो वह महसूस करके उस पर हमला कर देती है।
Photo credit - Rudolph.A.furtado/Wikimedia CommonsBees
मधुमखियाँ मरने के बाद जिंदा तो नहीं रहती लेकिन मरे होने के बाद भी यह डंक मार सकती है इसीलिए ये इस सूची में है। मरी हुई मधुमखियाँ उड़कर किसी को डंक नही मारती बल्कि अगर कोई मरी हुई मधुमक्खी को पकड़ने जाता है तो यह डंक मार देती है और अपना सारा जहर शिकारी के शरीर में डाल देती है। मधुमखियों के डंक (stinger) में जहर और जहर निकलने वाली मांसपेशी दोनों होती है इसीलिए इसके डंक को दिमाग की जरूरत नहीं पड़ती। यही कारण है कि जब मधुमखी मर जाती है तो डंक शरीर का इकलौता हिस्सा होता है जो काम कर रहा होता है, इसीलिए मरी हुई मधुमखी को पकड़ने से पहले एक बार जरूर सोच लें।
Photo Credit - WikipediaCockroaches
कॉकरोच भले ही बहुत छोटे से दिखने वाले जीव हो लेकिन इनकी त्वचा या खाल इतनी मजबूत होती है कि ये परमाणु बम विस्फोट से भी बच सकते है। इतनी शरीर की बनावट ऐसी होती है कि इनके पूरे शरीर में छोटे छोटे छेद होते हैं जिनका इस्तेमाल ये सांस लेने के लिए करते है। बाकी के जीवों की तरह ये सिर्फ सिर से ही सांस नहीं लेते बल्कि पूरे शरीर से सांस लेते है। इसीलिए अगर इनके सिर को काट दिया जाए तो भी ये 7-10 दिनों तक जिंदा रह सकते हैं। 7-10 दिनों बाद इसकी मौत प्यास की वजह से हो जाती हैं। कॉकरोच का एक और रोचक तथ्य यह भी है कि ये बिना कुछ खाये महीनों तक जिंदा रह सकते हैं।
Octopus
ऑक्टोपस जापान और कोरिया जैसे एशियाई देशों में खाए जाने वाले मुख्य डिशों में से एक है औऱ अपने बहुत से वीडियो भी देखे होंगे जिसमें टेबल में खाने के लिए रखे ऑक्टोपस हिल रहे होते हैं। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि ऑक्टोपस के हर एक पैर में 40 हजार के करीब न्यूरॉन्स होते हैं जो दिमाग की ही तरह काम करते है। यानी ऑक्टोपस के हर एक पैर में खुद का कंट्रोल सिस्टम होता है जिन्हें हमेशा दिमाग की जरूरत नहीं पड़ती। इसीलिए जब इसके पैर को काट दिया जाता है वह खुद हिलने लगता है और जब ऑक्टोपस मर जाता है तो भी इसके पैर इसके शरीर को कुछ दूर तक ले जाते है जब तक कि इसके सभी सेल्स मर नहीं जाते।
Photo Credit - Anneli Salo/Wikimedia CommonsSalamander and Axolotl
Salamander में क्षमता होती है कि ये अपने टूटे हुए पूँछ को फिर से पैदा कट सकती है और नया पूँछ भी बिल्कुल पुराने पूँछ की तरह ही काम करता है। ऐसा इनमें पाए जाने वाले खास तरह के प्रोटीन की वजह से होता है जो कि पुराने सेल्स की तरह नए सेल्स बनाने में मदद करते हैं। ऐसा प्रोटीन इंसानो में भी कुछ मात्रा में पाया जाता है जो हमारे अंगों को दोबारा पैदा करने में तो नहीं लेकिन हमारे घाव/चोट को भरने में मदद करते हैं।
Axolotl जो कि Salamander की ही प्रजाति है लेकिन इसकी अंग को दोबारा पैदा करने की क्षमता Salamander से भी अच्छी होती है। ये सिर्फ पूँछ ही नहीं बल्कि अपने चारों पैर, अंडाशय, दिमाग़ और भी शरीर के बहुत से हिस्सों को दोबारा उत्पन्न कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा उनमें मौजूद खास तरह की त्वचा के कारण होता है जिसे Wound Epithelium कहा जाता है और ये नए सेल्स का निर्माण करती है जिसे Blastema कहा जाता है।
वैज्ञानिक Salamander और Axolotl की इस खास तरह की क्षमता पर सालों से अध्ययन कर रही है जिससे कि भविष्य में इंसान को फायदा हो सके।
Photo Credit - th1098/Wikimedia CommonsAlaskan Wood Frog
Alaskan Wood Frog मेंढकों की ऐसी प्रजाति है जिन्हें प्रकृति से एक अनोखी शक्ति मिली है। और शक्ति ये है कि जब अलास्का के जंगलों में सर्दियों में तापमान -20° से नीचे चला जाता है तो ये मेंढक हर साल सितंबर में अपने आप को 80% बर्फ में जमा देते हैं। ये इस तरह जम जाते है कि कोई इनके पैरों को हिलाएगा तो वो टूट भी सकते है। इस दौरान यह मेंढक सांस लेना बंद कर देते हैं, इनका दिल काम करना बंद कर देता है औऱ शरीर में रक्त प्रवाहित होना बंद हो जाता है, वैज्ञानिक आधार पर देखा जाये तो ये मेंढक मर चुके होते है क्योंकि इनके शरीर के प्रमुख अंग काम करना बंद कर देते हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि Alaskan Wood Frog ये सब सिर्फ खुद को ठंड के मौसम में बचाने के लिए करती है जिसे शीतनिद्रा (Hibernation) भी कहते हैं, और 7 महीनों तक खुद को जमाये रखने के बाद गर्मियों में जब इसके शरीर से बर्फ पिघल जाता है तो फिरसे इसके अंग काम करने लगते हैं और ये फिरसे अगली सर्दी आने तक साधारण जिंदगी जीने लगती है।
Lobsters
लॉबस्टर पानी में पाया जाने वाला ऐसा जीव है जिसके उम्र की किसी सीमा नहीं होती और ये कभी बूढ़ा नहीं होता बल्कि ये उम्र के साथ बढ़ता ही जाता है औऱ अधिक ताकतवर होता है। लॉबस्टर के बूढे ना होने का कारण उनमें पाये जाने वाला खास तरह का एंजाइम होता है जिसे Telomerase कहा जाता है जो कि समय समय पर इनके DNA को ठीक करता रहता है। हालाँकि लॉबस्टर अमर नहीं होते और इनकी भी मौत होती है लेकिन बाकी जीवों की तरह ये बुढ़ापे के कारण नहीं मरते जिसे वैज्ञानिक भाषा मे Biological immortality कहा जाता है। प्राकृतिक आपदा, बीमारी या किसी का शिकार बन जाता लोबस्टर्स के मरने का मुख्य कारण है। वैज्ञानिकों के अनुसार लोबस्टर्स अपना बहिःकंकाल (Exoskeleton) बहुत ज्यादा बदलते हैं लेकिन उम्र बड़ी होने और शरीर बहुत बड़ा हो जाने के कारण इस क्रिया में बहुत ज्यादा एनर्जी लगती है जिस वजह से वे साल में 1 या 2 बार ही अपना Exoskeleton बदलते है जिस कारण उनके शैल में इंफेक्शन हो जाता है और उनकी मौत हो जाती है। लोबस्टर्स के बहुत ज्यादा Exoskeleton बदलने के कारण इनके पैदा होने का सही अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन माना जाता है की इनकी औसतन उम्र नर में 30 और मादा में 50 साल तक होती है। लेकिन 2017 में 120 साल पुराना लॉबस्टर पाया गया था और सबसे बड़ा लॉबस्टर 20 किलो तक पाया गया है। लोबस्टर्स के कभी बूढे न होने की खास क्षमता के कारण वैज्ञानिक भी स्पष्ट नहीं है कि बिना बीमारी और बिना किसी के शिकार बने लोबस्टर्स असल मे कितने साल तक जिंदा रह सकते हैं।
Photo Credit - Reji Jacob/Wikimedia CommonsHydra
Hydra साफ पानी मे पाया जाने वाला एक बहुत ही छोटा जीव है जिसे आँखों से देख पाना भी मुश्किल है लेकिन वैज्ञानिकों का ध्यान इस खास जीव पर इसकी खास क्षमता की वजह से गया जो है इस जीव का कभी बूढ़ा ना होना और इनके कभी बूढे ना होने का कारण इनमें पाये जाने वाले खास तरह के स्टेम सेल है। Hydra नाम ग्रीक मायथोलॉजी के मात्र से लिया गया है जिसका सिर काटने पर उसके दो सिर इस जाते थे, ऐसा ही इस जीव Hydra के साथ भी है। Hydra को काट देने पर इसके हर हिस्से से नया हाइड्रा पैदा हो जाता है। Hydra का जन्म अलैंगिक प्रजनन क्रिया से होता है, हाइड्रा पुराने हाइड्रा के शरीर के किसी हिस्से में उगते हैं औऱ बड़े होने पर अलग हो जाते है। इन्हें जितना ज्यादा खाना मिलता रहेगा उतने ही ज्यादा हाइड्रा पैदा होते रहते हैं। Lobsters की तरह ही Hydra भी बुढ़ापे की वजह से नहीं मरते इसीलिए ये भी बायोलॉजिकल अमर (Biological immortal) जीव है लेकिन Hydra की एक और खासियत है इसके शरीर के हर हिस्से से नया हाइड्रा का पैदा होना। लेकिन हाइड्रा के छोटे आकार के कारण बहुत से समुद्री जीव इसका शिकार करते है औऱ यही हाइड्रा के मरने का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा बीमारियां भी इसके मौत का कारण है।
Photo Credit - Frank Fox/Wikimedia CommonsPlanarian Flatworm
Planarian Flatworm पानी मे पाया जाने वाला जीव है लेकिन इसकी कुछ प्रजातियां पानी के बाहर नमी वाली जगहों में भी पाई जाती है। Planarian की पुनर्जनन की प्रक्रिया किसी भी जीवों में सबसे बेहतरीन मानी जाती है। इनके शरीर को कई हिस्सों में काट देने के बाद भी ये मरते नहीं है बल्कि इनके हर हिस्से से नए Planarian का जन्म होता है इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि हर नए जन्मे Planarian के दिमाग मे सारी पुरानी यादें भी वापिस आ जाती है। इन फ्लैटवॉर्म की औसतन आयु 65-140 दिनों की मानी जाती है आए इनकी मौत की मुख्य वजह भूख और दूसरे जीवों का शिकार बन जाना है।
Photo Credit - Taisaku Nogi/Wikimedia CommonsTardigrade
Tardigrade पानी में रहने वाले सूक्ष्म जीव है और इसे पानी का भालू (Water Bear) भी कहा जाता है। इसे दुनिया का सबसे कठोर जीव माना जाता है और यह पृथ्वी का इकलौता ऐसा प्राणी है जो अंतरिक्ष मे भी जिंदा रह सकता है। Tardigrade ऐसी परिस्थितियों में जिंदा रह सकता है जहाँ बाकी के जीवों का रह पाना नामुमकिन है। यह घने जंगलों से लेकर अंटार्कटिका के बर्फ में तक पाये जाते है यहाँ तक कि ये ज्वालामुखी के लावा में तक जिंदा रह सकते है। अगर इसके रहने वाले वातावरण में कुछ बदलाव हो जाये तो यह खुद को निष्क्रिय कर देता है जबतक परिस्थिति इसके रहने योग्य ना जाये और इसके इस निष्क्रिय करने की प्रक्रिया को Cryptobiosis कहा जाता है। इस जीव का किसी भी परिस्थितियों में रह पाना इसे सबसे खास जीव बनाता है। Tardigrade की एक और खास क्षमता यह भी है कि ये बिना खाना औऱ पानी के भी 30 दिनों तक जिंदा रह सकते है।
Photo Credit - Schokraie E/Wikimedia CommonsTurritopsis Dohrnii Jellyfish
Turritopsis dohrnii पृथ्वी की इकलौती प्रजाति है जिसे अमर माना गया जी इसीलिए इसे Immortal Jellyfish (अमर) भी कहा जाता है। ये जेलिफ़िश की ऐसी प्रजाति है जिसकी कोई आयु सीमा नहीं होती। ये जेलिफ़िश जब भी भूखी, चोटिल होगी या पानी के तापमान या खारेपन में बदलाव होगा तो यह खुद को फिरसे बचपन वाली अवस्था में ले आती है, जिसे की Polyp कहा जाता है। अपनी इस क्षमता से ये मौत को भी मात दे देती है इसीलिए इकलौता अमर जीव माना जाता है। खुद को ऐसे बचपन वाली अवस्था में ले आने की क्षमता पृथ्वी में सिर्फ इसी जीव के पास है जिससे कि यह हर बार खुद को मौत से बचाती है। Turritopsis dohrnii के खुद को बचपन में ले आने वाली क्षमता के कारण वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाये है कि यह कितने लंबे समय तक जी सकती। वैज्ञानिकी तौर पर भले ही यह जीव अमर हो लेकिन प्राकृतिक तौर पर Turritopsis dohrnii भी हमेशा जिंदा नहीं रहते, इनकी भी मौत होती है और इनकी मौत का मुख्य कारण बीमारी या दूसरे समुद्री जीवों का शिकार बन जाना है।
Photo Credit - Takashi Murai/The New York Times Syndicate/Redux
3 टिप्पणियाँ
Very nice thank you🤗
जवाब देंहटाएंbhut hi accha article likha hai sir apne
जवाब देंहटाएंSuper
जवाब देंहटाएंअपनी राय जरूर दें❤️