Mysteries Places of India in Hindi
Roopkund Lake
यह उत्तराखंड में 5029 मीटर की ऊंचाई में स्थित झील है जो की कंकाल झील के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसका यह नाम कंकाल झील इसलिए पड़ा क्योंकि 1942 में इस झील के किनारे 500 से भी अधिक कंकाल मिले थे, और वैज्ञानिकों के लिए यह रहस्य बना रहा कि इतने कंकाल यहां कैसे आये और इनकी मौत कैसे हुई। लंदन के वैज्ञानिकों के शोध में ये बताया गया कि ये कंकाल 12वीं से 15वीं सदी के बीच के थे। और इनकी खोपड़ी की हड्डियां टूटी हुई थी जिससे उन्होंने ये दावा किया कि इनकी मौत क्रिकेट बॉल जितने बड़े ओले गिरने से हुई होगी। हालांकि कोई वैज्ञानिक इनकी मौत का कारण प्राकृतिक आपदा को बताते हैं तो कोई विश्व युद्ध को पर असल में इनकी मौत का कारण अभी भी रहस्य ही बना है।Read Also - दुनिया के कुछ अजीबोगरीब अंधविश्वास
Jatinga Assam
जटिंगा असम से स्थित एक बहुत ही सुंदर छोटी सी वैली है। यह वैली जितनी सुंदर है इसका रहस्य भी उतना ही गहरा है। इस स्थान का रहस्य यह है कि यहाँ हर साल बहुत से पक्षी रहस्यमयी तरीके से समूह में आत्महत्या करते है और उससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि पक्षी सितम्बर अक्टूबर के महीनों में शाम के 7 बजे से 10 बजे के बीच ही आत्महत्या करते है। और यहां केवल एक पक्षी या एक ही प्रजाति के पक्षी नही बल्कि सभी प्रजातियों के पक्षी समूह में आत्महत्या करते है। इन सब कारणों के पीछे वैज्ञानिकों ने अलग अलग तर्क दिए हैं जबकि गांव वाले इसे भूतप्रेतों से जोड़ कर देखते हैं लेकिन इसके पीछे का असल कारण आज भी रहस्य बना हुआ है।Magnetic Hill, Ladakh
यह पहाड़ी लदाख क्षेत्र में समुद्र तल से 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पहाड़ी की खासियत यब है कि यदि आप इसके आगे गाड़ी रोक कर रखते हो तो गाड़ी नीचे की ना जाकर 20 किलोमीटर की गति से पहाड़ी की तरफ चढ़ने लगेगी। सिर्फ गाड़ी ही नही बल्कि अपने ऊपर से उड़ने वाले विमानों को भी यह अपनी तरफ खींचते लगती है, इसीलिए पायलट इसके प्रभाव से बचने के लिए इस क्षेत्र में विमान की गति को बड़ा देते हैं वैज्ञानिक भी स्पष्ट तौर पर बता नहीं पाए है कि इन सब का कारण अधिक चुम्बकीय शक्ति का होना है या अधिक गुरुत्वाकर्षण का होना।Kongka La pass
कोंगका दर्रा लदाख में भारत व चीन की सीमा के बीच मौजूद है। इस जगह में भारत और चीन की सरकार के विवादों के कारण कोई भी नहीं जाता। लेकिन वहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान पर बहुत बार यूएफओ (उड़न तश्तरी) देखा गया है, और यह यहां आम बात है। स्थानीय लोगों के अलावा जो भी यहाँ गए हैं सबने यहाँ यूएफओ और उनके निशान पाये जाने की बात कही है। सबसे चौंकाने वाली घटना तब हुई जब गूगल सैटेलाइट द्वारा खिंचे गए फ़ोटो में भी कुछ यूएफओ जैसी चीज़ देखने को मिले अब गूगल ने भी उस जगह को काले निशान से मिटा दिया है। इन सब घटनाओं ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी और खींचा पर इसका यह रहस्य अभी भी सुलझा नहीं पाए।
Mayong Assam
मायोंग असम का एक छोटा सा गांव है जो गुवाहाटी से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव को काला जादू का गांव कहा जाता है। कहा जाता है कि पूरी दुनिया मे काले जादू की शुरुआत इसी गांव से हुई थी। इस गांव का इतिहास महाभारत से भी जोड़ा जाता है जिसके अनुसार इस गांव के राजा भीम के बेटे घटोचकच थे। इस गांव के पास ही वाइल्डलाइफ सेंचुरी है जहाँ बहुत से लोग घूमने आते है लेकिन इस गाँव का खौफ इतना है कि यहाँ कोई भी नही आना चाहता। माना जाता है कि इनके पास ऐसे मंत्र थे जिससे आदमी को जानवर या गायब कर सकते थे, हालांकि अब इस गांव में काला जादू किसी को कष्ट पहुंचाने के लिए नही किया जाता बल्कि आजकल बीमारी भगाने के लिए इन जादू का प्रयोग होता है। और बहुत से लोग अपनी बीमारी का इलाज कराने यहां आते है यहां के लोग पीठ के दर्द के उपचार के लिए तांबे की थाली को पीठ में रखकर उसमे मिट्टी फेंकते है और कुछ मन्त्र पड़ते है जिससे कि दर्द गायब हो जाता है। पर अब इस गांव में सिर्फ 100 के करीब ही ऐसे परिवार है जो कि काला जादू जानते है पर वह भी अपने गुजारे के लिए खेती करने को मजबूर है।Kodinhi, Kerala
केरल में स्थित कोडिन्ही गांव जिसे की जुड़वां बच्चों का गाँव भी कहा जाता है। इस गांव में आपको जगह जगह पर जुड़वां लोग देखने को मिलेंगे। पूरे विश्व मे जुड़वा बच्चों का औसत प्रति 1000 बच्चों में 4 बच्चों का है जबकि यहाँ प्रति 1000 बच्चों में से 45 बच्चों का औसत है जो की एशिया में सबसे ज्यादा है। गांव के लोगों का कहना है की जुड़वा बच्चों का औसत पिछले कुछ सालों में काफी बड़ा है और यह और भी बढ़ता ही जा रहा है। इस गांव के इस रहस्य के कारणों का पता लगाने देश विदेश से बहुत से वैज्ञानिक आये पर सबके अपने अलग अलग तर्क थे, और यहाँ इतने जुड़वा बच्चे होने का कारण अभी भी रहस्य ही बना हुआ है।
रामेश्वरम जिसके तट में ऐसे पत्थर पाये जाते हैं जो कि पानी मे भी नही डूबते जो कि सबको सोचने पर मजबूर कर देती है। और इसका इतिहास रामायण से जुड़ा है जो कि शायद आप सब ने पड़ा होगा। पर विज्ञान धार्मिक बातों को मानने से इंकार करता है और उनका मानना है कि यह पत्थर Pumice Stone है जो कि ज्वालामुखी फटने से बनता है, लेकिन उनका यह तर्क भी सही होता प्रतीत नही होता क्योंकि इस स्थान के आसपास कोई भी ज्वालामुखी नहीं है और यह पत्थर प्यूमिस स्टोन से भारी भी है। हालांकि हिन्दू धर्म के लोग इसे धार्मिक दृष्टिकोण से देखते हैं जबकि बाकी की दुनिया के लिए ये अभी भी रहस्य ही बना हुआ है।
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Nidhivan, Vrindavan
कृष्ण नगरी वृन्दावन के बारे में तो सबने सुना ही होगा। आज हम आपको वृन्दावन के एक मंदिर में स्थित निधिवन के बारे में बताने जा रहे है जो काफी रहस्यों से भरी है। शाम होने के बाद इस मंदिर के सभी कपाट बंद कर दिए जाते हैं और भगवान कृष्ण के लिए प्रसाद तथा राधा जी के लिए श्रृंगार का समान रखा जाता है और किसी को भी यहां जाने की अनुमति नही होती। निधिवन में 16000 के करीब ऐसे वृक्ष पाये जाते हैं जो सभी टेढ़े-मेढ़े आकार के हैं, कहा जाता है कि ये सभी पेड़ श्रीकृष्ण की गोपियां है जो रात को अपने रूप में आकर श्रीकृष्ण संग रास रचाते है और सुबह होते ही फिर से पेड़ों का रूप धारण कर लेते है। निधिवन के पेड़ों की खास बात यह भी है कि ये सभी पेड़ नीचे की तरफ झुके हुए है जबकि आमतौर पर पेड़ो का आकार सीधा होता है। इनसे भी चौकाने वाली बात तो यह है कि शाम के समय मन्दिर में रखा गया प्रसाद सुबह के समय बिखरा हुआ मिलता है। बहुत से लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण का चमत्कार मानते है तो कोई इसे अंधविश्वास । कहा जाता है कि बहुत से लोगों ने रात के समय इस मंदिर का रहस्य पता लगाने की कोशिश की लेकिन वे या तो पागल हो गए या फिर गूंगे, और इस मंदिर का रहस्य अभी भी अनसुलझा है।
2 टिप्पणियाँ
very good
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